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इटावा । फसलो को बचाने के लिये मशक्कत, यूरिया खाद नही मिलने से सरसो की फसल में नही हो पा रहा पलेवा, सुबह से ही भूख प्यास सहन कर खाद के जुगाड़ में लगाते है चक्कर
एक तरफ किसानों की इस बार खरीफ की फसलें खराब हो गयी तथा जो अरमान फसलो पर थे वह धरे के धरे मौसम की मार ने खत्म कर दिये। इस बार रबी की फसलों की बुवाई के समय पहले डीएपी खाद की कमी ने परेशान किया अब यूरिया खाद के लिये तो किसानों को भूखे प्यासे कतारों में लगकर एक दो कट्टो का इंतजाम कर पाता है। क्षेत्र में यूरिया की कमी के चलते किसानों को सरसों की फसल में पानी नही दे पा रहे है जिसके चलते फसले खराब तक होने लगी है। जिसके चलते अब यूरिया की कमी और नेताओं के आश्वसनो के आगे किसान बेबस व निराश दिख रहा है।
जल्द सुबह ही लग जाती है कतारे
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खाद के लिये किसानों की परीक्षा हो रही है एक तरफ फसल को बचाने के लिये मेहनत करनी पड़ रही है वही दूसरी ओर खाद पाने के लिये भूखे प्यासे कतारों में लगने के बाद दो कट्टे मिल पाते है। इटावा मार्केंटिंग सहकारी में सुबह ही सेकड़ो किसानों की लंबी कतारें लग जाती है जब पता चलता है कि आज खाद नही आएगा तो निराश होकर लौट जाते है। इसके अलावा निजी डीलरों के यहां खाद आता है तो बिजोलियो के माध्यम से महंगे दामो में बिक जाता है। और किसान मायूस वापस अपने घर पहुचता है।
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चूल्हा चौका छोड़ फसल बचाने के लिये खाद पाने की मशक्कत
इस समय खाद की कमी से हो रही फसल खराब होने से बचाने के लिये किसान ही नही महिलाये भी जल्द सुबह ही मार्केंटिंग में कतारों में लग जाता है। जब उनसे पूछा कि चूल्हा चौका छोड़ लाइन में तो परिवार की जिम्मेदारी कोन सभाल रहा है तो महिलाओं के जवाब थे कि खेती ही नही बचेगी तो परिवार क्या करेंगे दो – चार दिन भूखे रह लेंगे लेकिन खाद मिल जाये तो फसलो में समय पर पानी लग जाये। खाद लेने के लिये पुलिस के पहरे में किसानों के साथ बड़ी संख्या में महिलाओं की भी लम्बी कतार खाद पाने की लाइनों में नजर आती है।
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1783 कट्टो का हुआ वितरण
इटावा क्रय विक्रय सहकारी समिति में बुधवार को किसानों की लंबी कतारों व हंगामे के बीच प्रत्येक किसान को 5 – 5 कट्टो का वितरण किया गया। इटावा क्रय विक्रय सहकारी समिति के व्यवस्थापक सीताराम मीना ने बताया कि बुधवार को 1783 यूरिया के कट्टे आये थे जिनका वितरण करवा दिया। वही जैसे जैसे खाद आ रहा है सहकारियों व मार्केटिंग के माध्यम से वितरण किया जा रहा है। नवम्बर माह में मार्केटिंग सोसाइटी द्वारा लगभग 15 हजार कट्टो का वितरण किया जा चुका है। इसके अलावा सहकारी समितियों के माध्यम से अलग वितरण करवाया गया है। इसके अलावा निजी डीलरों द्वारा भी वितरण किया जा रहा है।
फसले खराब हुई लेकिन बीमा कम्पनियो का छलावा, आखिर न क्लेम मिल रहा है न कोई बता रहा है
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क्षेत्र में इस बार खरीफ की उड़द , सोयाबीन व तिल्ली की फसले बेमौसम बारिश व मौसम के साथ नही देने से अधिकांश फसले खराब हो गयी। किसानों को फसल बीमा करते समय कई फायदे कम्पनियो ने बताए लेकिन फसल का समय चक्र खत्म हो गया। ओर किसानों की दूसरी फसलो की बुवाई हुए एक माह गुजर गया। लेकिन न बीमा मिला न सरकार का मुआवजा मिला तो सिर्फ किसानों के नाम पर राजनीति चमकाने वाले नेताओं के आश्वासन । जबकि किसानों की रबी की फसल के लिये वापस बीमा करने का समय आ गया है। किसान केसरीलाल नागर ने बताया कि किसानों के साथ फसल बीमा के नाम पर छलावा के अलावा कुछ नही है। किसान नरेश सुमन का कहना है प्रिययम कट जाता है लेकिन पिछले चार वर्ष से फसले खराब हो रही है एक बार बीमा मिला वह भी नाम मात्र का ।
किसानों का कहना हर तरफ परीक्षा ही परीक्षा –
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किसानों का कहना है किसानों को हर तरफ परीक्षाओं से ही गुजरना पड़ता है। जहां पहले बुवाई के लिये खाद व बीज महंगे दामो पर मशक्कत के बाद मिलता है। वही इन दिनों बदलते मौसम से पैदावर प्रभावित होती है।लेकिन जब पैदावर आती है तो उसका उचित मूल्य नही मिल पाता तथा किसानों के फसल बीमा के नाम पर बीमा कम्पनिया सिर्फ अपनी जेबें भरती है।
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