- (क्राइम रिपोर्ट) क्रिश जायसवाल ।
बारां । अगर आप WhatsApp, Twitter, Facebook, Instagram, telegram और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर रहे हैं तो कहीं आप खतरे में तो नहीं हैं ? इन दिनों साइबर क्राइम बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। लोग समझते हैं कि सोशल मीडिया (Social Media) दोस्तों, परिवार और वर्कर्स के साथ कम्यूनिकेट करने के सबसे लोकप्रिय और मनोरंजन साधनों में से एक है, लेकिन आजकल इन प्लेटफॉर्म पर सबसे ज्यादा फ्रॉड (Online Fraud) और धोखाधड़ी होती है।
Social Media पर आमतौर पर एक मैसेज रिसीव होता है जो कुछ गिफ्ट या बेनेफिट का वादा करता है और उन्हें वहां कुछ लिंक पर क्लिक करने के लिए इनवाइट करता है। समझो जो इनके बहकावे में आ गया वह ठगी का शिकार हो गया । अक्सर बेरोजगार अशिक्षित व्यक्ति इन लिंक पर क्लिक करके वॉलेट बना लेते हैं साइबर अपराधी शिंकजे में आए इन व्यक्तियों को साइबर अपराधी शुरू में प्रलोभन देते हैं एवम शुरुआत में छोटी राशि को दो गुनी करके वॉलेट में जमा कर देते हैं ऐसे में अशिक्षित एवम गरीबी से तंग व्यक्ति राशि प्राप्त होने पर खुश हो जाता है तथा लालच में आकर अधिक राशि जमा कर देता है, हालांकि झालसाझ दो से तीन बार तो दो गुना पैसे इन्हे इनके वॉलेट अकाउंट में जमा कर देता है परंतु जब व्यक्ति इनसे संतुष्ट होकर अधिक राशि इन्हे जमा करता है तब यह साइबर अपराधी उस पैसे को रिटर्न नहीं करते हैं ना ही दो गुना करते हैं अंत मे व्यक्ति को इनकी सचाई के बारे में ज्ञात होता है । हालांकि कई मामले दर्ज भी होते हैं परंतु अशिक्षित व्यक्ति को जानकारी के अभाव में वो मामला दर्ज नहीं करवा पाता है । हालांकि कई मामलों में शिक्षित व्यक्ति भी साइबर ठगी का शिकार हुए हैं, ऐसे व्यक्ति शर्मिंदा के चक्कर में आगे नहीं आ पाते हैं ।
तो वहीं कई मामले ऐसे भी होते हैं जिनमे यूजर्स को लिंक्स पर क्लिक करके इन बेनिफिट्स का फायदा उठाने का एकमात्र तरीका बताया जाता है। हालांकि, जैसे ही यूजर लिंक पर क्लिक करता है, कुछ ऐप या मेलवेयर यूजर के फोन या कंप्यूटर पर अपने आप डाउनलोड हो जाएंगे। ये यूजर्स की जासूसी करने और घोटालेबाजों को जानकारी भेजने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं इससे यूजर्स की सभी एक्टिविटी पर आसानी से नजर रखी जा सकती है और यूजर्स की जानकारी के बिना सूचना भेजी जाती है।
इन तरीकों से फंसाते हैं जाल में
कई मामले ऐसे भी है जिनमे साइबर ठग व्यक्ति के फर्जी व्हाट्सएप अकाउंट, फेसबुक अकाउंट बनाकर संबधित व्यक्ति के मित्रों की सूची में शामिल लोगों को मैसेज भेजकर तबीयत खराब होने, अस्पताल में भर्ती होने और अति आवश्यक कार्य में व्यस्तता समेत तमाम विषम परिस्थितियों का हवाला देते हुए तात्कालिक रूप से रुपयों की मांग करता है। शाम तक या कल सुबह तक रुपये वापस करने का भरोसा भी देता है। इसी बहाने अगर कोई झांसे में आ गया तो उससे रुपये ठगकर अपराधी संबंधित फर्जी आइडी को क्लोज कर देता है।
hackers रहते हैं सक्रिय ।
वहीं यूजर्स को कुछ फॉर्म भरने के लिए कहा जाता है और इसके लिए यूजर्स को अलग-अलग यूजरनेम और यहां तक कि पासवर्ड प्रदान करने की जरूरत होती है। ये फॉर्म नकली होते हैं और ये आमतौर पर फर्जी वेबसाइट्स पर पाए जाते हैं जिन्हें इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि वे एक ऑफिशियल बैंक या दूसरे इंस्टीट्यूशन के समान दिखते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल हैकर्स द्वारा रची गई इन साजिशों के माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों को ठगा जाता है। ऐसे धोखेबाजों के झांसे में न आने के लिए यूजर्स को कुछ बातें ध्यान में रखनी चाहिए।
ऑनलाइन धोखाधड़ी से कैसे बचें
विशेषज्ञ बताते हैं कि जब भी किसी फेसबुक आइडी व्हाट्सएप अकाउंट से मदद के नाम पर रुपये मांगे जाएं तो पहले उस व्यक्ति के मोबाइल या किसी संपर्क नंबर पर उससे कॉल कर लें। हकीकत का पता चल जाएगा। इतना ही नहीं, कुछ उपाय अपनाकर आप आपके फेसबुक आइडी को सुरक्षित भी बना सकते हैं। क्लोन आइडी साइबर अपराधी तब ही नहीं बना पाएगा, जब आपके आइडी की प्राइवेसी सेटिंग मजबूत न हो। अपना आइडी ओनली मी या ओनली फ्रेंड में रखेंगे तो साइबर अपराधी आपकी आइडी में प्रवेश नहीं कर पाएंगे। जब भी कोई बड़ा फायदा देने का वादा करे और पैसे मांगे तो उसे समझ लेना की वो कोई स्कैम का हिस्सा है जो आपको ठग सकता है। अगर ऐसा आपके साथ होता है तो समझ जाइयेे कि कुछ भी फ्री में नहीं मिलता है और जो लोग इसका वादा करते हैं, वे आपसे ठगी का प्रयास कर रहे हैं। जब भी कोई आपसे यूजरनेम और पासवर्ड या दूसरी पर्सनल जानकारी मांगे तो समझ जाइये कि आपके साथ धोखा होने वाला है। एक बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि कोई भी बैंक या अन्य वैध व्यवसाय आपसे ये सीक्रेट विवरण नहीं मांगेगा। बैंकिंग डिटेल्स जो कभी भी किसी के साथ शेयर नहीं किए जाते हैं उनमें क्रेडिट और डेबिट कार्ड नंबर, CVV, PIN, इंटरनेट बैंकिंग यूजर ID, इंटरनेट बैंकिंग पासवर्ड शामिल हैं। कभी भी कोई OTP (वन टाइम पासवर्ड) शेयर न करें जो आपको प्राप्त हुआ हो। यह धोखेबाजों द्वारा आपके बैंक अकाउंट, या आपके पास मौजूद अन्य दूसरे पर्सनल अकाउंट तक पहुंचने का प्रयास हो सकता है। इनमें आपके आधार कार्ड (Aadhaar Card) से लेकर ई-कॉमर्स वेबसाइट तक कुछ भी शामिल हो सकता है। फेसबुक पर अनजान लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट स्वीकार न करें। किसी अन्य मोबाइल या डेस्कटाप पर अपनी गोपनीय आइडी खोलने से बचें। अज्ञात क्यूआर कोड स्कैन करने से बचें। किसी अनजान व्यक्ति द्वारा भेजे गए लिंक को क्लिक न करें। वो फोन काल, जिसमें आपकी बैंक संबंधी जानकारी मांगी जा रहा हो, उसने जानकारी साझा न करें। कभी भी बैंक संबंधी जानकारी फोन पर शेयर न करें। किसी इनामी योजना के फोन काल पर कोई जानकारी साझा न करें। किसी प्रकार का एप जैसे एनीडेस्क, टीववीवर आदि मोबाइल में इंस्टाल न करें।
इनका कहना है
आनलाइन ट्रांजेक्शन करते वक्त पूरी तरह से सावधान रहें। किसी के बहकावें में न आए। अपनी व्यक्तिगत या जानकारी किसी से साझा न करें। अनाधिकृत लिंक पर क्लिक न करें। न ही किसी लालच या डर में आएं। कोई भी व्यक्ति ऑनलाइन के माध्यम से दो गुना पैसा नहीं कर सकता कोई भी ठगी होने पर तत्काल पुलिस को सूचना दें।
(उप पुलिस अधीक्षक नेत्रपाल सिंह थानाधिकारी साईबर क्राइम थाना बारां)
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इनका कहना है
व्यक्ति किसी भी तरह के लालच में नहीं आए, एवम् आजकल ऑनलाइन फर्जी टास्क ऐप भी संचालित हो रहे जिसमें साइबर ठगो के झाल में फसे व्यक्तियों को टास्क दिए जाते हैं साइबर ठग लालच देकर राशि जमा करवाते है, राशि जमा करवाने के बाद व्यक्तियों को ठग लिया जाता है , ऐसा कोई संदेश आने पर व्यक्ति 1930 साइबर पोर्टल पर सूचित करे अगर आपने साइबर फ्रॉड होने के तुरंत बाद ही पुलिस को 1930 पर कॉल करके घटना की पूरी जानकारी दी, तो संभव है कि आपके पैसे बच जाएं. इसके लिए आपको मामले में थोड़ी तेजी दिखानी होगी. फ्रॉड होने के एक घंटे से कम वक्त में आपको 1930 पर कॉल करके सभी डिटेल्स शेयर करनी होगी ।इसके अलावा ऑनलाइन मोड से भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके लिए https://www.cybercrime.gov.in/ पर क्लिक करना होगा ।ऑनलाइन लेनदेन के वक्त यूजर को ओटीटी नहीं शेयर करना चाहिए ।किसी भी पर्सनल जानकारी जैसे क्रेडिट कार्ड, यूपीआई पिन को नहीं शेयर करना चाहिए।
(सत्येन्द्र सिंह हैड कांस्टेबल, प्रभारी साइबर सेल पुलिस अधीक्षक कार्यालय बारां)