लोकेशन शाहाबाद
रिपोर्टर भुवनेश भार्गव
उपखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत वमगंवा के दूर दराज गांव लेदरा बसई के एक 80 वर्षीय बुजुर्ग गोरेलाल सहरिया को हाईवे किनारे चिलचिलाती धुप में हाईवे के किनारे पड़ा देख मोहनपुर निवासी वीरेंद्र सिंह एवं उदय सिंह यादव की आंखे नम हो गई। पहले तो उदय सिंह और उसके साथी ने वाइक पर चलते सिर पर पगड़ी व पास में रखा थैला देखा और आगे चले गये। उसके बाद उस बूढ़े के बारे में सोचा की यह बुजुर्ग चिलचिलाती धुप में क्यों पड़ा है कोई साधू होगा। लेकिन विचार विमर्श कर वाईक को खड़ा किया और बुजुर्ग के पास पहूँचे तथा उसके हाल जाने तो 80 वर्षीय बुजुर्ग तेज बुखार से ग्रस्त था जो की लेदरा बसई गांव से सामग्री लेने मुंडियर आया था। जो की बस में से किसी कारण बस से ठिकाने पर नहीं उतर पाया जिसे बस कंडक्टर आनन फानन में मामोनी से समरानियां के बिच स्थित बालाचार चौकी नामक स्थान के समीप जंगल में हाईवे के किनारे उतार गया।जहां बुजुर्ग के साथ घर का ना घाट का वाली कहावत सावित हो गई। बुजुर्ग तेज बुखार में ग्रस्त था तथा उसने दो चार वाईक बालों को भी हाथ दिया लेकिन लोगों में इंसानियत कहां है किसी ने उस बुजुर्ग की तरफ ध्यान नहीं दिया। आखिर 80 वर्षीय बुजुर्ग बुखार से ग्रस्त मुसाफिर कहां तक सफर करने बाला था थोड़ी बहुत चला और हिम्मत का हारा हाईवे किनारे अपने थैले पर सिर रखकर लेट गया। जब बुजुर्ग के हाल पूंछे तो नम आंखो से बोला बेटा भूख प्यास की कोई बात नहीं है तुम मुझे ठिकाने से लगा दो। बुजुर्ग को बाइक पर बिठाकर मामोनी गांव लाया गया। जहां दुकान से बिस्किट का पैकेट व पानी की वोतल लाकर बुजुर्ग को पानी पिलाया। जिससे उसे थोड़ा तसल्ली मिली और बाबा ने अपना ठिकाना बताया। उसके बाद एम्बुलेन्स से हॉस्पिटल भेजने की कोशिस की लेकिन बुजुर्ग के साथ परिजन नहीं होने से वहां कौन सम्भालेगा यह बात मन को सता रही तो कई बार ऐसा भी सोचने में लग रहे की यह बाबा अपने हाथों में ना दम तोड़ दे। लेकिन जिसकी आती नहीं उसका भगवान ही मालिक है। यह सोचते सोचते जब हमने बाबा के थैले को देखा जिसमें राशन कार्ड आधार कार्ड जनाधार कार्ड व पर्स रखे थे। पर्स में पैसे तो नहीं थे लेकिन मोबाईल नम्बरों की पर्ची जरुर रखीं हुई थीं। उनके माध्यम से सूचना देने की कोशिस की तो उसके गांव के नम्बरों पर फोन तो नहीं मिला लेकिन हमारे नजदीक स्थित गांव गाडर इसाटोरी उसके भतीजे सुगन सहरिया के यहां एक नंबर मिला जो की किसी के यहां हाली के रूप में खेत में काम कर रहा था।जैसे ही उन्होंने अपने काका के बारे में सुना तो वह अपने जमींदार की वाईक लेकर खाण्डा सहरोल अपने काका से आ मिला। यह देख बाबा खुशी के मारे फुले नहीं समाया। सुगन ने हमारे द्वारा की गई बुजुर्ग की मदद की काफी सराहना की लेकिन बाबा हमारा हमें झुक झुक कर हमें राम राम कहता रटता गया बेटा राम राम बेटा राम राम यह देख हमें भी ऐसा लग रहा की बाबा वर्षों से हमारे साथ रहा हो। इन्सान होने का जो सबसे बड़ा फर्ज है वह है मानवता के कल्याण के लिए हमेशा कर्म करते जाना इंसान का सच्चे अर्थों में इंसान होना ही मानवता हैं. इंसानियत के धर्म के कायदे से ही एक व्यक्ति दुसरे से प्रेम करता हैं. इंसान वही बेहतर है जो अपने में खुश रहता हो लेकिन वो नहीं जो सिर्फ अपने बारे में सोचता है। जब आप किसी गरीब इन्सान की किसी दूसरे असहाय की मदद करते है तब आप मानवता के हित के लिए काम कर रहे है जिससे पूरे समाज में एक अच्छा मेसेज जाता है भले ही आज हमारा विश्व तेजी से आगे बढ़ रहा हैं मगर हम अपना मानवीय धर्म मानवता को निरंतर पीछे छोड़े जा रहे हैं. यह मानवता का पतन हैं, हमें जाति पांति धर्म से ऊपर उठकर मानवता के धर्म को सबसे पूर्व मानना चाहिए जो कार्य उदय सिंह यादव और उसके साथी ने किया वह वाकई सराहनीय है।