विद्या भारती द्वारा संचालित सुशीला देवी आदर्श विद्या मंदिर छीपाबड़ोद में प्रातः कालीन वंदना सभा में दोनों वंदनीय महापुरुषों की जयंती धूमधाम से मनाई । उत्सव जयंती प्रमुख प्रहलाद कुमार मेघवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि 14 अप्रैल के अवकाश को देखते हुए 13 अप्रैल को ही दोनों महापुरुषों की जयंतिया मनाई गई। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता कक्षा नवम की बहिन हंशिका प्रजापति,कक्षा सप्तम की बहिन पायल नागर रही,जिसने सर्वप्रथम भीमराव अंबेडकर व भगवान महावीर के चित्र पर माल्यार्पण कर, तिलक लगाकर, दीपक जलाकर आरती की। दोनों महापुरुषों की सजीव झांकियां बनाकर वंदन अभिनंदन किया गया। हंशिका प्रजापति ने बाबा साहब के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भीमराव रामजी आम्बेडकर (14 अप्रैल, 1891 – 6 दिसंबर, 1956), डॉ॰ बाबासाहब आम्बेडकर नाम से लोकप्रिय, भारतीय बहुज्ञ, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, राजनीतिज्ञ, और समाजसुधारक थे। उन्होंने दलित बौद्ध आन्दोलन को प्रेरित किया और अछूतों (दलितों) से सामाजिक भेदभाव के विरुद्ध अभियान चलाया था। श्रमिकों, किसानों और महिलाओं के अधिकारों का समर्थन भी किया था। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मन्त्री, भारतीय संविधान के जनक एवं भारत गणराज्य के निर्माताओं में से एक थे।
बहिन पायल नागर ने भगवान महावीर के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भगवान महावीर जैन धर्म के चौंबीसवें तीर्थंकर थे। भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार वर्ष पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली गणराज्य के कुण्डग्राम में अयोध्या इक्ष्वाकुवंशी क्षत्रिय परिवार हुआ था। तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गये। 12 वर्षो की कठिन तपस्या के बाद उन्हें केवल ज्ञान प्राप्त हुआ जिसके पश्चात् उन्होंने समवशरण में ज्ञान प्रसारित किया। 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई। इस दौरान महावीर स्वामी के कई अनुयायी बने जिसमें उस समय के प्रमुख राजा बिम्बिसार, कुणिक और चेटक भी शामिल थे। जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्मदिवस को महावीर-जयंती तथा उनके मोक्ष दिवस को दीपावली के रूप में धूम धाम से मनाया जाता है। कार्यक्रम में शिवराज गुर्जर, विजय चौरसिया, संजय प्रजापति, दीपक सोनी, हर्षिता मित्तल, सोनाली प्रजापति, चेतन नागर, गुलशन कुशवाह आदि उपस्थित थे। संचालन मेघराज नागर ने व आभार प्रकट प्रधानाचार्य जोधराज नागर ने किया।