देवपुरा में चल रही भागवत कथा के सातवें दिन हवन भंडारे के साथ भागवत कथा का समापन हुआ। श्री कृष्ण सुदामा की मनोहर झांकी सजाई गई अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो दर पर सुदामा गरीब आ गया है भजन सुनाए। श्रोताओं ने मंत्रमुग्ध होकर नृत्य किया। सोमवार को कथा वाचक सवाई माधोपुर के पंडित मुकुट बिहारी शास्त्री ने कहा कि मित्रता में कोई छोटा बड़ा नहीं होता जो गरीबी में साथ देता है। वहीं सच्चा मित्र होता है। धीरज धर्म मित्र और नारी की परीक्षा गरीबी में ही होती है। गरीब सुदामा जब द्वारका में पहुंचे श्री कृष्ण नंगे पैर दौड़ कर अपने राज सिंहासन को छोड़कर सुदामा को गले से लगाया और अपने बराबर बिठाकर अपने नैनों के जल से चरण धोकर सच्ची मित्रता का संदेश दिया। आधुनिक समय में व्यक्ति स्वार्थी होता हुआ जा रहा है। अपने रिश्तों को भूल कर अहंकार में मानवता के धर्म से दूर होता हुआ जा रहा है। भागवत कथा के दौरान शास्त्री ने कहा कि भागवत कथा हमारी कई जन्मों की पितरों का कल्याण करती है। सातवें दिन पटेल राम गोप मीणा ने भागवत कथा का पूजन किया। प्रकाशचंद मीणा, कैलाशचंद मीणा, राधेश्याम मीणा, एसटी मोर्चा अध्यक्ष प्रमोद कुमार मीणा, विजयशंकर मीणा, पंडित नरेश शर्मा ने आरती उतारी। गुरुजी मुकुट बिहारी का माल्यार्पण कर साल उड़ा कर सम्मान किया। संतो को विदाई दी।