लोकेशन छबडा
रिपोर्टर माजिद राही
प्रॉपर्टी विवाद के चलते दो पक्षों में हुआ जानलेवा हमला पीड़ित युवक युवराज चंदेल पुत्र प्रेमप्रकाश चंदेल ने बताया कि मुझे 29 तारीख शाम को जानकारी मिल रही थी कि मन्नू उर्फ मनीष अदलक्खा पुत्र राजेंद्र अदलक्खा और सरजीत सिंह ने सावन हरिजन को मुझे जान से मार देने की सुपारी दी है ये लोग मेरी रैकी करवा रहे हैं, कुछ लोग मेरे आगे पीछे चक्कर काट रहे हैं, यह व्यक्ति पहले भी एक झूठी रिपोर्ट में मेरा नाम लिखवा चुका है, जिसकी सूचना मैंने 30 अगस्त मंगलवार सुबह 9:00 बजे तत्काल छबड़ा थाने में जाकर SHO राजेश मीणा को दी कि ऐसा मेरे साथ कभी भी हो सकता है, सुपारी किलर सावन हरिजन ओर उसके साथी मेरी तलाश में घूम रहे हैं। मनीष अदलक्खा एक षड्यंत्रकारी शातिर दिमाग का व्यक्ति है वह अपने आप को इस वारदात से बचाने के लिए जानबूझकर कल शाम को सुपारी देकर कोटा निकल गया है, ओर आज कोर्ट में मेरी तारीख पेशी है मन्नू अरोरा ने मेरी खातेदारी ओर मेरे कब्जे काश्त की भूमि को कृष्णा सिटी के नाम से मुर्तिब कर कृषि भमि को आवासीय में समपरिवर्तन कराने के बहाने से अवैध तरीके से कम क्षेत्रफल में क्षमता से अधिक प्लॉट काटकर बेचान कर दिए थे जिसकी उसने मुझे जानकारी भी नहीं होने दी। जिसमें वर्तमान में अपर जिला सेशन न्यायाधीश छबड़ा से स्थगन आदेश जारी हो चुका है ओर धोखाधडी करने के संबंध में न्यायालय ने मनीष अदलक्खा के विरुद्ध तत्काल ipc 420 में प्रकरण दर्ज कर पुख्ता जांच करने का आदेश जारी कर दिया है। जिससे मन्नू अरोरा पूरी तरह से बोखला चुका है।
मैं आज भी अपनी भूमि पर काबिज काश्त हूँ मेरा मन्नू अरोरा द्वारा बेचान कर दिए गये उन 154 प्लाटों से कोई लेना देना नहीं है, ना ही मैं अपने खाते की भूमि में से किसी को भी उन प्लाटों का देनदार हूं, तो उन्होंने मुझे लिखित में देने और सावधानी बरतने को कहा।
करीब दिन के 2 बजे मैं अपने अधिवक्ता के साथ ईदगाह चौराहे गुर्जर की थड़ी पर बैठकर चाय पी रहा था, इतने में पीछे से सावन हरिजन अपने कुछ साथियों को लेकर आया सभी के हाथों में लोहे के मोटे पाइप थे और उनसे मुझे मारना शुरू कर दिया मैं निहत्था था जैसे तेसे पीछे हट कर मैंने अपना बचाव किया फिर उन लोगों ने मेरे पैरों और टांगों ओर पीठ पर ताबड़तोड़ वार किए जिससे मेरे पैर की अंगुली भी कट गई और टांगो और पीठ में सूजन आ गई। पुलिस ने प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान शुरु कर दिया है परंतु मनीष अदलक्खा एक आदतन अपराधी है इसके खिलाफ छबड़ा थाने और अदालतों में धोखाधड़ी के कई अनेकों मुकदमे दर्ज हैं परंतु इसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होने की वजह से पुलिस इसे गिरफ्तार नहीं करती है। ये उच्च अधिकारियों को सत्ता पक्ष के नेताओ ओर मंत्रीयों से फोन करवा कर जांच को प्रभावित करता है, इसके खिलाफ अधिकतर मुकदमें सीधे थानों में दर्ज नहीं होकर इस्तगासे से दर्ज होते हैं ओर इसे बचाने के लिहाज से इसके सभी प्रकरणों में FR दे दी जाती है।