लोकेशन छबडा
रिपोर्टर माजिद राही
सदस्यों नें आशा जतायी माननीय मुख्य प्रधान न्यायाधीश महोदय का कार्यकाल 74 दिन,फिर भी हमें उम्मीद है अंग्रेजों की दी हुयीं न्याय प्रणाली की कमियों को दूर करने पर होगा फोकस।
देश के न्यायालयों में झूंठे इस्तगासों के जरिये निरापराध लोगों पर होते है मुकदमें दर्ज,लम्बी जांच और फिर सुनवाई से होती है आम पीड़ित को परेशानी और आर्थिक हानि।
पीड़ित पक्ष को लम्बी अवधि तक न्याय प्रणाली से गुजरने के दौरान मानसिक,आर्थिक हानि होती है। झूंठ को सच के द्वारा जीतने पर मिले सरकार की ओर से पीड़ित पक्ष को मुआवजा।
छबड़ा:अलख निरंजन ज्योति ध्यान योग केंद्र,समिति,अमीरपुर खेड़ी में कार्यकारी अध्यक्ष शंकर लाल नागर की अध्यक्षता में गूगल मीट एप के माध्यम से योग पर हुयीं ऑनलाइन,ऑफलाइन वार्ता।ऑनलाइन वार्ता में एडवोकेट अनिल कुमार जैन,सेवानिवृत प्रधानाचार्य जगदीश चन्द्र शर्मा ओर ऑफलाइन वार्ता में देवकी,नेमीचंद,हरि बल्लभ,भूरा लाल,पवन,नेमीचंद,चौथमल धाकड़,राम प्रसाद,परमानन्द,दीपक आदि ने लिया भाग।वार्ता के बाद 27 अगस्त,शनिवार को भारत के 59 वें सीजेआई माननीय यू.यू.ललित जी को भारत का मुख्य प्रधान न्यायाधीश बनने पर केंद्र की ओर से भेजा सोसियल मीडिया के मार्फ़त से हार्दिक बधाई और शुभकामना सन्देश।योग केन्द्र पर सदस्यों ने सेवा निवृत हुए माननीय सीजेआई रमना के न्यायायिक कार्यकाल की प्रशंसा की गयीं तथा कहा कि उनकी न्याय प्रियता को देश की जनता ‘जनता के जज के रूप में सदैव याद रखेगीं। सदस्यों ने माननीय सीजेआई रमना जी के उज्ज्वल भविष्य एवं आगे के पारिवारिक, सामाजिक सुखी जीवन की ईश्वर से शुभकामना की गयीं।सदस्यों ने
भारत के नव नियुक्त माननीय सीजेआई यू.यू.ललित जी शुभकामनाएं भेज
कहा की देश में वर्तमान में महिलाओं और गरीब तबके के लोगों पर अत्याचार बढ़ रहे है देश और प्रदेशों में महिलाओं,बेटीयों,बहुओं के साथ कुकर्म के बाद हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध कारित हो रहे है साथ ही देश के थानों में राजनेताओं के द्वारा प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से गलत हस्तक्षेप करनें से भी गरीब,असहाय,पीड़ित पक्ष को निष्पक्ष न्याय नही मिल रहा। अलख ज्योति योग साधकों ओर अन्य आम सदस्यों ने माननीय से आशा जतायी ओर कहा कि भारत के माननीय सीजेआई यू.यू.ललित जी का कार्यकाल 74 दिन है फिर भी जनता को उम्मीद है की भारतीय दण्ड संहिता मिक्सअप कानूनी धाराओं सहित अंग्रेजों की दी हुयीं अंग्रेजी न्याय शिक्षा प्रणाली का मायाजाल है जिसको आम आदमी नही समझता ओर सस्ते न्याय की आशा अभी भी कोसों दूर है।अंग्रेज़ो द्वारा बनाई न्याय की धाराओं में कई कमियां है इन धाराओं में समय के साथ नया जोड़ने और पुराने को हटाने उनमें बदलाव की जरूरत है।आज भी देश के छोटे-बड़े न्यायालयों में झूंठे इस्तगासों के जरिये कानूनी जानकार निरापराध लोगों पर रपट में शाब्दिक जाल रचकर कानूनी धाराओं के सहारे झूंठे मुकदमे दर्ज करवा देते है।भारत में दर्ज मुकदमें,लम्बी जांच और फिर पेशी दर पेशी की सुनवाई की लम्बी डगर से गुजरते है जिससे पीड़ित पक्ष को सामाजिक,मानसिक परेशानी के साथ आर्थिक हानि भी होती है।
झूंठे दायर इस्तगासे के केश से निरपराध फंसे या फसाए गए आमजन की झूंठ से सच को जीतने में लम्बा समय लगता है।केश में जीतने पर पीड़ित पक्ष को सरकार की ओर से या झूंठा केश दायर करने वाले से मुआवजा मिले और झूंठे पक्ष वाले को आर्थिक और न्यायायिक रूप से दण्डित किया जावें जिससे भविष्य में निरापराध फंसे लोगों को उचित न्याय मिल सकेंगा।।