• क्रिश जायसवाल

छबड़ा:(माजीद राही-छबड़ा) देश में और प्रदेश में व्याप्त भ्रष्टाचार से आज अनपढ़ इंसान ही प्रभावित नहीं है बल्कि पढ़े- लिखे लोग यहां तक ईमानदार अधिकारी और कर्मचारी भी अपने काम समय पर विभागों में नही होने से परेशान हैं। भ्रष्टाचार की राह इतनी गंभीर हो चली है कि बिना लीए ओर दिय सीट पर बैठा इंसानी रूप में हैवान ईमानदारी की भाषा पढ़ना, सुनना ओर बोलना ही भूल गया।किसी भी काम को करवाना शायद अब आपके बस की बात नहीं रह गयी है दिन- प्रतिदिन अखबारों में एसीबी की रेड पड़ रही है लेकिन फिर भी रिश्वत का बाजार गर्म है।एसीबी का सब जगह पहुंचना सीमित है उसके सिपाही आम आदमी को बनना होगा तभी सब दप्तरों में व्याप्त भ्रष्टाचार मिट सकेगा।आज कोई भी विभाग देखो विभाग के कर्मचारी देखो उनकी काम करने की कोई समय सीमा देश मे शायद अभी तक लागू नहीं हुयीं है। आज का सीट पर बैठा कार्मिक 5 मिनट के काम को 5 महीने लगा रहा हैं कोई समय सीमा नही।पुलिस और न्यायालयों में झूठे मुकदमो की इस्तगासे से लाइने लग रही है।वकील झूठ और सच में अंतर दिखा मुवक्किल को न्याय दिलाने में मदद तो कर रहे लेकिन वो भी बेईमानों से परेशान है।भ्रष्टाचार की रूपरेखा देखो तो आज ग्रामों में लगने वाले जन सुनवाई के केम्प भी फर्जी चल रहे है पंचायतें बन्द रहती है वहां कोई सुविधाएं आम जन के लिए मौजूद नही छोटे-छीटे काम के लिए आमजन कस्बे में आ रहे है पंचायत मुख्यालय पर न ग्राम सचिव बैठता,ना ही पटवारी सरपंच साहब मजबूर है लोगों के काम नहीं करवा पा रहे हैं ग्राम से लेकर जिला मुख्यालय तक लोगों को छोटे छोटे काम के लिए एसडीएम,तहसील,ई मित्र की दौड़ लगानी पड़ रही है। विकास के नाम पर वोट देने का सपना ही पूरा हुआ लेकिन सपना देखें तो भ्रष्टाचार की बू हर काम में नजर आ रही है आज ग्रामों में सड़के नहीं है कागजों में भी सड़कें बन चुकी होगी,सड़क बनने के बाद मरम्मत नहीं होती,भवन बन रहे हैं लेकिन उनमें भी भ्रष्टाचार है निर्माण विभाग का कोई भी रोल अच्छा दिखाई नहीं देता है ठेकेदारों से गिन-गिन कर हर काम के लिए नेता और लेता अधिकारी द्वारा पैसे लिए जाते रहे हैं अब गुणवत्ता का गुणगान कौन करे, क्या जनता मंगल गीत का गान करें जनता जनार्धन तो जनता कहने भर को हे असली जनार्धन तो मत की शक्ति पाकर मदांध बैठा प्रतिनिधि है वो अधिकारी के महलो से देख झोपड़ी का मजाक उड़ा रहे है।हमारे पुलिस विभाग के अधिकारी कहते है कानून हाथ मे मत लो तो क्या गांधी जी के आजाद भारत मे फिर गांधी जी की तरह हम भूखे ही मर मिटे ऐसे तो अब काम हो जाएगा क्या?मरने पर भी नही होगा,हर काम के विभागों में बैठे लोगों द्वारा आम और कास दोनों लोगों से ही पैसे लिए जाते हैं तो हो रहे काम और निर्माणों के कार्य में भी गुणवत्ता की कल्पना करना बेमानी है।आज ग्रामीण सम्पर्क सड़कों का बुरा हाल है,वही हाल शिक्षा के भवनों का है 10 साल पूरे होते होते भवन झरझर नजर आता है चिकित्सा व्यवस्था डॉक्टरों का कुबेर का खजाना भरती जा रही है मुख्य्मंत्री स्वास्थ्य बीमा या प्रधान मंत्री जी की जनधन,बीमा योजना ,निःशुल्क इलाज सरकारी खजानो को आधार से लिंक होने से सरकारी पैसे की निजी चिकित्सा केंद्रों पर लूट मची है। शुद्ध पेयजल ओर बिजली सब में भ्रष्टाचार आम आदमी परेशान, मीडिया कर्मी भी अब नेताओं के पीछे लगे हैं कमरों में बैठ अखबारों में रोज उन्हीं के नाम के गुणगान गाये जा रहे हैं क्योकि एड जो मिलते है लेकिन गांव के गरीब की समस्याओ के ओर मीडिया का ध्यान नहीं है मीडिया गांव में जाए और जिन नेताओं के वह गुणगान गा रहे हैं उनकी कहानी वहां जाकर पूछे जिस गांव से उन्होंने वोट के लिए 5 साल में विकास के कार्य स्वीकृत कर नोट लिए है जरा टटोल के देखे कोनसे कार्य कब हुये क्या लागत आयी गांव में उन्होंने क्या काम किय उजागर करें। ढोल में पोल डुड़ोगे तभी हकीकत की कहानी समझ आयेगी।लेकिन मीडिया कर्मी आप गांव में जाएं तब आज गांव के हालात पता चलेगी अतिक्रमण से गांव के रास्ते अवरुद्ध है गांव में गुसना नर्क से भी बदतर हो चुका हैं। गांव का पढ़ा लिखा व्यक्ति कागजी डिग्री को लेकर दर-दर रोजगार की तलाश में भटक रहा है और पेपर आउट हो रहे हैं कोई सुनने वाला नहीं है जिसकी लाठी उसकी भैंस का हाल हो रहा है।आज भयंकर कलीकाल की पहचान भी यही है कि अपराधी गुलाब जामुन खा रहे हैं और फरियादी सड़क पर बैठा भूख से परेशान हो अदालत के चक्कर काट रो रहा है।अदालतों में झूठे मुकदमे ईमानदार लोगों पर इस्तगासे से दायर किए जा रहे हैं।न्याय के लिए फैसले बरसो दर बरसो चलते रहते हैं ईमानदार मरता रहता है ओर बेईमान रोटी खाता रहता है शायद यही शिव की रीत शव बन गई है आमजन जाए तो कहां जाए बाड़ ही खेत को खा रही है चहुं ओर भ्रष्टाचार की गंगा व्याप्त है। खबरें छपती है उस पर संज्ञान होते हैं परंतु कार्रवाई किसी पर नहीं होती है असहाय हो बिना न्याय के ही व्यक्ति परलोक चला जाता है।कार्यवाही ईमानदार लोगों पर होती है यह बात राही की कलम लिख रही है लेकिन साथ ही नही भी चल रही है,कोई मेरी कलम को अन्यथा लेगा या नहीं लेगा इससे मुझे कोई अतिशयोक्ति नहीं है लेकिन हकीकत यही है कि आज हर जगह ईमानदार इस रहा है उसे खा रहा है आज 75 सालों की अमृत महोत्सव की आजादी,आमजन में आजादी दिखाई नहीं दे रही है गरीब और गरीब अमीर और अमीर होता जा रहा है चौथा स्तंभ चाहे तो गरीबों की लड़ाई लड़ सकता है लेकिन वह भौतिकवाद से दूर रहे और धन से दूरी बनाए तिल- तिल जलकर दीपक की तरह रोशन होकर गरीबों के घर की रोशन बन रोशन करें उनके हक की बात को निडर मीडिया से ऊपर तक ले जावें तभी जाकर देश का हर गरीब अमीर बन सकेगा इसके विपरीत पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी महात्मा गांधी नरेगा में गड्ढे खोदता रहेगा फोटो खिंचवाते रहेगा।जैसे अभी भी शिक्षित नोजवान गड्ढों पर खड़ा है। आश्चर्य की बात है सोचने की बात है आम आदमी जागे और लोगों को जगह थाली,लोटा बजाकर फिर से जगावैं और भ्रष्टाचारियों को पकड़ने में एसीबी की मदद करें।आम आदमी जागेगा नया सूरज उदय होगा तभी भ्रष्टाचार मिटेगा और देश का विकास का आम आदमी का सपना पूरा होगा।दिल अपना ओर प्रीत परायी अब नही चलेगी भाई अब तो प्रीत ओर रीत के साथ स्वयं को स्वयं से ही स्वयं के लिए ही जीत के लिए लड़ाई लड़नी होगीं।।