मागंरोल कस्बे मे बाणगंगा नदी के तट पर स्थित रियासतकालीन बाबाजीराज बाग दिनों दिन दुर्दशा का शिकार हो रहा है। यहां दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बिजली-पानी की व्यवस्था भी नहीं है। देखरेख के अभाव में झाड़, बबूल पनप रहे हैं ।तो साफ-सफाई के अभाव में गंदगी फैली हुई है। सुरक्षा की दृष्टि से समूचा बाग वीरान है। यहां पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। राजपूत समाज की आस्था का केंद्र कहे जाने वाले बाबाजीराज का यह प्राचीन बाग देवस्थान विभाग के अधीन है। देवस्थान मे कभी इस बाग की देखरेख की जिम्मेदारी दो दर्जन कर्मचारियों पर थी। अब महज दो कर्मचारियों के भरोसे है। बाग में लगे पेड़ पौधे भी देखरेख के अभाव में उजड़ रहे हैं। सुरक्षा दीवारें, चबूतरे बाग के मुख्य दरवाजे क्षतिग्रस्त हो गए है।वहीं दिनभर अवारा पशु घूमते रहते है।बाग में अतिक्रमण भी किया जा रहा है। लोगों ने बाग की दीवार के सहारे मकान बना लिए है। बाग के सुंदर कुंड, बारहद्वारी, रास, सूर्योदय गेट देखरेख के अभाव लुप्त होने की कगार पर है। समूचा बाग खंडहर में तब्दील हो चुका है। राजपुत समाज के लोगो ने इस धरोहर को बचाने के लिए विभाग ओर सरकार को भी अवगत करवाया लेकिन ध्यान नही दिया जा रहा