लोकेशन बूंदी

रिपोर्टर माजिद राही

जिला एवं सेशन न्यायाधीश बूंदी ने 2 सितम्बर को दिए अपने एक आदेश में कोई साक्ष्य नहीं होने के कारण शराब पीकर वाहन चलाने के आरोपी कॉन्स्टेबल को आरोप मुक्त कर दिया। साथ ही कॉन्स्टेबल को विधिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए गिरफ्तार करना व सिटी कोतवाली थानाधिकारी सहदेव सिंह द्वारा न्यायालय में गलत परिवाद प्रस्तुत करना मानते हुए उनके खिलाफ गम्भीर टिप्पणियां की हैं। उन्हें उचित प्रशिक्षण दिलाए जाने व उनके खिलाफ आवश्यक कार्यवाही करने के भी उच्चाधिकारियों को आदेश दिए। साथ ही 1000 रुपए का जुर्माना भी किया।

मामले के अनुसार, 31 अगस्त को थानाधिकारी, पुलिस थाना कोतवाली ने पुलिस लाइन बूंदी की तरफ चेकिंग के दौरान कॉन्स्टेबल मुन्नीराम (32) को शराब के नशे में कार चलाते हुए पाया था। इस पर कार को जप्त कर मुन्नीराम को गिरफ्तार कर लिया गया था। इसके बाद उसके खिलाफ धारा 185 व 207 एमवी एक्ट में परिवाद प्रस्तुत करते हुए उसे न्यायालय में पेश किया।

आरोपी कॉन्स्टेबल का पक्ष

इसके खिलाफ आरोपी मुन्नीराम ने अधिवक्ता इमरान खान के जरिए न्यायालय में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। इसमें कहा गया था कि पुलिस थाना कोतवाली द्वारा उसके खिलाफ शराब पीकर गाड़ी चलाने का जो प्रकरण दर्ज किया है, इस मामले में चिकित्सक ने यह तो माना है कि मुन्नीराम शराब पिये हुए है, लेकिन शराब के प्रभाव में नहीं है। चिकित्सक की रिपोर्ट के मुताबिक उसे शराब के प्रभाव की अवस्था में नहीं होना पाया गया है। ऐसी स्थिति में धारा 185 एमवी एक्ट का अपराध नहीं बनता है। पत्रावली पर ऐसी कोई रिपोर्ट पुलिस द्वारा प्रस्तुत नहीं की गई है, जिससे स्पष्ट हो सके कि मुलजिम मुन्नीराम के रक्त के नमूने / श्वास विश्लेषक मात्रा 30 मिलीग्राम से अधिक हो। इसलिए परिवाद चलने योग्य नहीं है। अत: मुलजिम के विरूद्ध प्रसंज्ञान नहीं लेकर उसे उन्मोचित किया जाए।

न्यायालय ने यह दिया आदेश

न्यायालय ने इस पर आदेश देते हुए कहा कि रिपोर्ट का अवलोकन किया गया। चिकित्सक की रिपोर्ट में साफ उल्लेख किया गया है कि यह व्यक्ति मदिरा का सेवन किए हुए है, लेकिन शराब के प्रभाव में नहीं है। धारा 185 एमवी एक्ट के तहत अपराध तब ही बनता है, जबकि आरोपी के खून में एल्कोहल की मात्रा 30 मिलीग्राम से अधिक पाई जाए। मगर ऐसा कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया है।इसके अलावा थानाधिकारी द्वारा आरोपी के खून के सेम्पल की जांच नहीं करवाई गई। केवल फौरी कार्यवाही कर न्यायालय के समक्ष परिवाद पत्र प्रस्तुत कर दिया। मुन्नीराम के विरुद्ध धारा 185 एमवी एक्ट में प्रसंज्ञान का कोई आधार नहीं है। इसलिए परिवाद को खारिज कर मुन्नीराम को उन्मोचित किया जाता है।

थानाधिकारी को विधि के ज्ञान का अभाव

न्यायालय ने अपने फैसले में आगे कहा कि थानाधिकारी सहदेव सिंह द्वारा गलत रूप से न्यायालय के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया गया। मुन्नीराम को विधिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए गिरफ्तार किया गया। यह थानाधिकारी के विधि के ज्ञान के अभाव को दर्शाता है। उन्हें उचित प्रशिक्षण दिलाए जाने व उनके विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा जाएगा। धारा 358 दंप्रसं के तहत थानाधिकारी सहदेव सिंह पर 1,000/-रुपए जुर्माना किया जाता है। यह राशि 7 दिन में न्यायालय में जमा करानी है। इसे मुन्नीराम को उसके समय हानि के लिए क्षतिपूर्ति स्वरूप देने के आदेश भी दिए। साथ ही उसकी कार छोड़ने का आदेश भी थानाधिकारी को दिया।