गीता जयंती’ के उपलक्ष्य में अष्टादश श्लोकी गीता का किया पाठ । 

छीपाबड़ौद । विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान द्वारा संचालित आदर्श विद्या मंदिर केलखेड़ी छीपाबड़ौद में मनाई गीता जयंती । विद्यालय की उत्सव एवं जयंती प्रमुख अंतिम गोठानिया ने जानकारी देते हुए बताया कि आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तेजपाल नागर राजकीय संस्कृत व्याख्याता द्वारा मां सरस्वती व श्रीमद्भागवत गीता के समक्ष पुष्प अर्पित व दीप प्रज्वलन कर शुभारंभ किया । मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में बताया कि गीता विश्व का एकमात्र ऐसा धार्मिक ग्रंथ है जिसकी जयंती मनाई जाती है । क्योंकि इस का उद्भव भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से हुआ था । ब्रह्मपुराण के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का विशेष महत्व है क्योंकि द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन अर्जुन को भगवत गीता का उपदेश दिया था । इसलिए इस एकादशी को ‘मोक्षदा एकादशी’ भी कहते हैं । गीता का चिंतन अज्ञानता के आचरण को हटाकर आत्मज्ञान की ओर प्रवृत्त करता है । यह एक मंगलमय ग्रंथ होने के साथ ही अनुपम जीवन ग्रंथ भी है । यह हमें जीवन का सार सिखाती है कि हमारे जीवन में संकटों का सामना हिम्मत से लड़ने के लिए है और इसके ज्ञान को प्रोत्साहित कर दूसरों को भी लाभान्वित करना चाहिए । इस दिव्य ग्रंथ का प्रत्येक व्यक्ति को स्वाध्याय करना चाहिए क्योंकि यह हमें पलायन से पुरुषार्थ की ओर अग्रसर करती है । कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ आचार्य हरीश मालव ने,अतिथि परिचय वरिष्ठ आचार्य योगेश नागर ने,स्वागत आचार्य कोमल वैष्णव ने तथा आभार आचार्य महेश शर्मा द्वारा व्यक्त किया गया ।